हल्द्वानी, । एक तरफ प्रदेश की धामी सरकार ‘जीरो टॉलरेंस’ का दावा करती है। दूसरी तरफ कुछ ट्रांसपोर्ट कारोबारी टैक्स चोरी का सिंडिकेट चलाकर सरकार को रोजाना लाखों-करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान पहुंचा रहे हैं। इस सिंडिकेट के खेल में जिम्मेदार विभाग के अधिकारियों की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। जानकारी होने के बावजूद अधिकारी इस अवैध सिंडिकेट की ओर आंखें मूंदकर बैठे हैं। जिससे सरकार के जीरो टॉलरेंस के दावे की पोल खुल रही है।
हल्द्वानी ट्रांसपोर्ट नगर को कुमाऊं की आर्थिक मंडी कहा जाता है। यहां से रोजाना सैकड़ों वाहन मैदानी और पर्वतीय इलाकों में माल की आपूर्ति करते हैं, लेकिन इन दिनों ट्रांसपोर्ट नगर टैक्स चोरी का बड़ा सिंडिकेट बन गया है। सूत्रों के अनुसार, ट्रांसपोर्ट नगर में करीब 8 से 10 तराई के कारोबारी बिना बिल और टैक्स के दिल्ली और बरेली से बड़ी मात्रा में माल मंगवाते हैं। किराने से लेकर कपड़ा, जूता, कॉस्मेटिक और गुटका (तंबाकू) आदि माल बिना बिल के बड़ी आसानी से यहां पहुंचाता है।जिसके बाद पहाड़ लाइन के कुछ ट्रांसपोर्ट कारोबारी इस टैक्स चोरी के माल को गंतव्य तक पहुंचाते हैं। बताया जाता है कि करीब 4 से 5 गुना अधिक भाड़ा लेकर बिना बिल और बिना टैक्स के माल का परिवहन इधर से उधर किया जाता है। जिससे सरकारी खजाने को लाखों-करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा है। इसके बावजूद संबंधित विभाग के अधिकारी इस गंभीर मुद्दे पर कोई ठोस कदम नहीं उठा रहे हैं। यह स्थिति मुख्यमंत्री के जीरो टॉलरेंस के दावे के प्रति सवाल खड़े करती है।