देहरादून। हरीश रावत एक ऐसा नाम है, जो हमेशा उत्तराखंड की राजनीति के केंद्र में रहा। साधारण परिवार से आने वाले रावत का सत्ता के शीर्ष तक पहुंचने का सफर असाधारण है। उनके कद का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि विपक्ष के निशाने पर कांग्रेस से ज्यादा रावत रहते हैं। 1973 में कांग्रेस की जिला यूथ इकाई के सबसे कम उम्र के अध्यक्ष बने रावत एक ऐसे राजनीतिज्ञ हैं, जो प्रतिद्वंद्वियों से मात खाने के बाद और मजबूत बनकर उभरे हैं। यही ताकत है कि ब्लॉक प्रमुख से चुनावी राजनीतिक कैरियर की शुरुआत करने वाले रावत 2012 में मुख्यमंत्री बने।
सियासी ताकत
उत्तराखंड के प्रमुख क्षेत्र गढ़वाल और कुमाऊं में अच्छी पकड़।
पहाड़ी राज्य की राजनीति में सबसे पुराना चेहरा होने के कारण जनता के बीच काफी लोकप्रिय।
कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के लिए सबसे भरोसेमंद नेता।
अन्य राज्यों में भी सकंट मोचक की भूमिका निभाई।
निजी जीवन
नामरू हरीश सिंह रावत।
जन्मरू 27 अप्रैल 1948 को अल्मोड़ा के मोहनरी गांव में।
शिक्षारू बीए, एलएलबी, लखनऊ विश्वविद्यालय।
एक दिन के मुख्यमंत्री बने
रावत के नाम एक दिन का मुख्यमंत्री रहने का अनोखा रिकॉर्ड भी है। 2016 में कांग्रेस में हुई तोड़फोड़ के चलते उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगा था। 25 दिन के राष्ट्रपति शासन के बाद 21 अप्रैल 2016 को एक बार फिर रावत एक दिन के लिए मुख्यमंत्री बने।
सीएम पद के बड़े दावेदार
हरीश रावत 15वीं लोकसभा में मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली सरकार में केंद्रीय जल संसाधन मंत्री भी रह चुके हैं। हरदा के नाम से मशहूर रावत को भले ही कांग्रेस ने चुनाव में सीएम का चेहरा घोषित न किया हो, लेकिन उनके समर्थकों के साथ विरोधी भी मानते हैं कि कांग्रेस सत्ता में आती है तो कुर्सी उन्हीं की है।