*प्रवीण कुमार*
बरेली ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने भारतीय जनता पार्टी के ट्वीट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि समान नागरिक संहिता (यूसीसी) मुसलमानों को किसी भी रूप में स्वीकार नहीं है। उन्होंने कहा कि यदि यूसीसी कानून बनता है और उसमें शरीअत के उसूलों का लिहाज रखा जाए, तो उस पर विचार किया जा सकता है।
मौलाना ने स्पष्ट किया कि यूसीसी शरीअत में हस्तक्षेप है और अगर इसे लागू किया गया तो यह सभी धर्मों के अनुयायियों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाएगा। भारत एक लोकतांत्रिक देश है और यहां का संविधान सभी धर्मों को समान अधिकार देता है। इसलिए सभी धर्मों पर एक समान कानून लागू करना संभव नहीं है।
उन्होंने यह भी कहा कि यदि ऐसा कोई यूसीसी कानून बनाया जाए जिसमें शरीअत और अन्य धर्मों की धार्मिक आज़ादी का सम्मान किया जाए और आम जीवनचर्या में कोई अड़चन न हो, तो उसे स्वीकार किया जा सकता है। लेकिन वर्तमान परिस्थितियों में जिस प्रकार से यूसीसी लागू करने की प्रक्रिया चल रही है, वह लोकतांत्रिक भावना के विरुद्ध है।
उत्तराखंड सरकार ने हाल ही में यूसीसी लागू करने के संदर्भ में मौलाना ने कहा कि आम मुसलमानों से कोई राय नहीं ली गई। जबकि संविधान के संबंधित अनुच्छेद में यह स्पष्ट है कि इस तरह के किसी कानून के लिए सभी धर्मों के लोगों की राय और सहमति आवश्यक है। उत्तराखंड द्वारा गठित कमेटी ने ऐसा कोई प्रयास नहीं किया।





