प्रवीण कुमार*
बरेली कश्मीर के पहलगाम में हालिया आतंकी घटना के बाद भारत-पाकिस्तान संबंधों और सीजफायर जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करने के लिए सुन्नी बरेलवी उलमा की एक बड़ी बैठक बरेली में आयोजित हुई। बैठक में आतंकवाद के मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की गई और इसके खिलाफ एक फतवा जारी किया गया।
डॉ. अनवर रज़ा कादरी के सवाल पर फतवा जारी
बहराइच निवासी डॉ. अनवर रज़ा कादरी द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में यह फतवा दिया गया। फतवे की घोषणा आल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में की, जिसमें बड़ी संख्या में उलमा और संवाददाता मौजूद थे।
इस्लाम की नज़र में आतंकवाद हराम
फतवे में कुरान और हदीस का हवाला देते हुए कहा गया कि:
एक इंसान की हत्या, पूरी मानवता की हत्या के बराबर है।
अच्छा मुसलमान वह है, जिससे किसी को भी हाथ, पैर या जुबान से नुकसान न पहुंचे।
अपने वतन से प्रेम करना आधा ईमान है।
आतंकी संगठनों को बताया गया गैर-इस्लामी
फतवे में स्पष्ट रूप से लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों को गैर-इस्लामी बताया गया। कहा गया कि इस्लाम के नाम पर लोगों की हत्या करने वाले ये संगठन शरीयत की रोशनी में नाजायज़ और हराम हैं।
इस्लाम: शांति और भाईचारे का धर्म
पैगंबर इस्लाम की शिक्षाओं का हवाला देते हुए कहा गया कि:
उन्होंने कभी किसी अनुयायी की हत्या का आदेश नहीं दिया।
इस्लाम सभी धर्मों के अनुयायियों की जान, माल और सम्मान की रक्षा करता है।
इस्लाम का संदेश सबके साथ अच्छा व्यवहार करना है।
‘जिहाद’ की गलत व्याख्या पर नाराज़गी
फतवे में कहा गया कि कुछ लोग ‘जिहाद’ के अर्थ को गलत तरीके से पेश कर रहे हैं और इस्लाम के नाम पर लोगों की हत्या कर रहे हैं। यह कुरान और हदीस के सिद्धांतों के खिलाफ है।
गैर-मुस्लिमों से संबंधों पर इस्लामी दृष्टिकोण
फतवे में कहा गया कि:
पैगंबर इस्लाम ने गैर-मुसलमानों से अच्छे संबंध बनाए।
उनके निमंत्रण स्वीकार किए और बीमार पड़ने पर हाल-चाल पूछा।
आज के समय में देशवासियों के साथ मिल-जुलकर रहने की ज़रूरत है।
पहलगाम हमला: क्रूर और कायरतापूर्ण
फतवे में पहलगाम में हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा की गई। कहा गया कि इसे धर्म से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। यह हमला इस्लाम और शरीयत के सिद्धांतों के खिलाफ है और पूरी तरह हराम है।
बैठक में शामिल प्रमुख उलमा
बैठक में उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए उलमा और मदरसों के प्रबंधकों ने हिस्सा लिया। प्रमुख नामों में शामिल हैं:
शाहजहांपुर: मौलाना इकबाल फूल मियां, मौलाना तारिक
पीलीभीत: मौलाना गुलाम मोहिउद्दीन हशमती, मौलाना अब्दुर रशीद
बदायूं: कारी हशमत, मौलाना आलम रज़ा
रामपुर: मौलाना मुस्तकीम रज़ा, मौलाना अब्दुर राउफ
बरेली: मौलाना मुजाहिद हुसैन, मुफ्ती अब्दुल वाहिद, मुफ्ती हाशीम रज़ा, मौलाना हामिद नूरानी, मौलाना जफरुद्दीन, मौलाना नदीम, मौलाना अनस रज़ा, मुफ्ती कमर रज़ा, मौलाना खुर्शीद रज़वी, हाजी नाजिम बेग, मौलाना ऐजाज़ रज़वी, मौलाना सेफ रज़ा, हाफ़िज़ शकील आदि।





