रामनगर। नेशनल हाइवे 309 पर तीन लोगों को निवाला बनाने के मामले में छह महीने की मशक्कत के बाद बाघिन को पकडऩे में वन विभाग को सफलता मिल गई। पकड़ी गई बाघिन ही युवक पर हमला करने वाली बाघिन थी या नहीं। वन विभाग इसकी पुष्टि के लिए डीएनए जांच कराएगा। बीते साल 17 जुलाई को नेशनल हाइवे पर मोहान क्षेत्र में मुरादाबाद का बाइक सवार एक युवक बाघ के हमले में मारा गया था। तब घटना को अंजाम देने के मामले में बाघिन की तस्वीर कैद हुई थी। उसके बाद 13 दिसंबर को पूर्व फौजी व 24 दिसंबर को एक युवक को हाइवे पर पनोद क्षेत्र में बाघ ने मार डाला था। तब भी कैमरे में एक बाघ व एक बाघिन की तस्वीर कैद हुई थी। दोनों घटनाओं में एक ही बाघिन के शामिल होने की बात पता चली।
डीएफओ कुंदन कुमार ने बाघिन को पकडने के लिए चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन से अनुमति मांगी थी। 25 दिसंबर से रामनगर वन प्रभाग की टीम कार्बेट टाइगर रिजर्व के सहयोग से पनोद क्षेत्र में दो पिंजड़े लगाकर बाघिन को पकडऩे में रात दिन एक किए हुए थी। डीएफओ कुंदन कुमार के निर्देशन में कोसी रेंज की टीम शेखर तिवारी के नेतृत्व में रोज पनोद में बाघ व बाघिन के मूवमेंट में नजर रख रही थी। बुधवार को फारेस्ट गार्ड भुबन सती रोज की तरह पिंजड़े चेक करने गए तो बाघिन पिंजड़े में फंसी मिली।
सूचना पर डीएफओ कुंदन कुमार, रेंजर शेखर तिवारी, कार्बेट के पार्क वार्डन अमित ग्वासाकोटी, वरिष्ठ वन्य जीव चिकित्सक दुष्यंत शर्मा, हिमांशु पांगती मौके पर पहुंचे। बाघिन को चेकअप के लिए पिंजड़े में ही टै्रंकुलाइज किया गया। वन्य जीव विशेषज्ञ एजी अंसारी व डा. हरेंद्र बर्गली की मौजूदगी में चेकअप में बाघिन के दांत घिसे हुए मिले साथ ही चलने में भी उसे दिक्कत थी। बाघिन को ढेला रेस्क्यू सेंटर ले जाकर छोड़ दिया गया।
रामनगर वन प्रभाग के डीएफओ कुंदन कुमार का कहना है कि पकड़ी गई बाघिन पूर्व में भी युवक पर हमले के दौरान कैमरे में देखी गई थी। इसी बाघिन के ही हमले में शामिल होने की पूरी संभावना है। पुष्टि के लिए बाघिन का डीएनए जांच कराई जा रही है। बाघिन से सेंपल ले लिए हैं। उसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।






