बरेली जिले के सीबीगंज थाना क्षेत्र से पुलिस प्रशासन की घोर लापरवाही का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। बिजली चोरी के एक केस में असली आरोपी महिला की बजाय एक निर्दोष बुज़ुर्ग महिला को जेल भेज दिया गया, जिससे मानवाधिकारों का खुला उल्लंघन हुआ है।
घटना का विवरण:
गांव बंडिया में बिजली विभाग द्वारा दर्ज एक बिजली चोरी के मामले में मुन्नी पत्नी स्वर्गीय छोटे शाह के नाम पर गैर-जमानती वारंट जारी किया गया था। लेकिन परसाखेड़ा चौकी प्रभारी सौरभ यादव ने असली आरोपी को पकड़ने के बजाय गांव की ही एक अन्य महिला मुन्नी देवी पत्नी जानकी प्रसाद को गिरफ्तार कर लिया और 13 अप्रैल को जेल भेज दिया।
चौंकाने वाली लापरवाही:
दोनों महिलाओं में सिर्फ नाम की समानता थी।
पति का नाम, पता और मामले से जुड़ाव—तीनों में कोई समानता नहीं थी।
पुलिस द्वारा कोई भी सत्यापन नहीं किया गया।
केवल नाम के आधार पर गिरफ्तारी की गई।
परिवार का दर्द:
गिरफ्तार की गई महिला मुन्नी देवी का बेटा राकेश, जो एक हलवाई की दुकान पर काम करता है, अब थाना, तहसील और प्रशासनिक दफ्तरों के चक्कर लगा रहा है। राकेश का कहना है कि उसकी मां ने गिरफ्तारी के वक्त बार-बार खुद को निर्दोष बताया, लेकिन किसी ने उसकी बात नहीं सुनी।
*स्थानीय लोगों के आरोप*
ग्रामीणों ने चौकी प्रभारी सौरभ यादव पर जानबूझकर असली आरोपी को बचाने और गरीब महिला को फंसाने का आरोप लगाया है।
ग्रामीणों के अनुसार यह भीतरखाने की मिलीभगत का मामला हो सकता है।
पुलिस ने केवल कागज़ी कार्रवाई के आधार पर गिरफ्तारी की, जबकि सामान्य जांच से ही सच्चाई सामने आ सकती थी।
इस घटना ने पुलिस की कार्यप्रणाली और मानवाधिकारों की सुरक्षा पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़े कर दिए हैं।
परिजनों और ग्रामीणों ने डीएम और एसएसपी से उच्चस्तरीय जांच की मांग करते हुए दोषी पुलिसकर्मी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की अपील की है। साथ ही, मुन्नी देवी की शीघ्र रिहाई की भी मांग की जा रही है।





